लोरियान तांगाई का ये एक छोटा बौद्ध स्तूप है…

लोरियान एक ऐतिहासिक स्थल है, जो पेशावर पाकिस्तान में स्थित है। प्राचीन बौद्धकालीन समय में पेशावर को पुरुषपुर कहा जाता था… चीनी बौद्ध भिक्खु ह्यू- एन- त्संग कभी, प्राचीन सिल्क मार्ग से लोरियन तांगाई आये थे। उन्होंने इस इलाक़े के एक बड़े बौद्ध स्तूप का अपने यात्रा वर्णन में उल्लेख किया है। मुस्लिम आक्रमणकारियों नेContinue reading “लोरियान तांगाई का ये एक छोटा बौद्ध स्तूप है…”

🌷 प्रतिपदा सुत्त 🌷

भिक्खुओं, ये चार प्रतिपदा (जीवन विधियाँ) है। कौन-सी चार ?अक्षमा-प्रतिपदा, क्षमा-प्रतिपदा, दमन-प्रतिपदा तथा शमन प्रतपिदा ।1)भिक्खुओं, एक आदमी गाली देनेवाले को गाली देता है, क्रोध प्रकट करनेवाले को प्रति क्रोध प्रकट करता है, झगडने वाले के साथ झगडता है । भिक्खुओं, यह अक्षमा-प्रतिपदा है।2)भिक्खुओं, क्षमा-प्रतिपदा किसे कहते है ?भिक्खुओं, एक आदमी गाली देनेवाले को गालीContinue reading “🌷 प्रतिपदा सुत्त 🌷”

प्रश्न: भिक्खु और भिक्षु/भिक्षुक में क्या अंतर है? बौद्धो में भिक्खु का इतना आदरभाव क्यों है। 🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹

उत्तर:-भिक्षु या भिक्षुक का सामान्य अर्थ याचक अर्थात भिखारी है। जबकी भिक्षु और भिक्खु दो अलग-अलग अर्थ वाले शब्द हैं। जिनका दूर-दूर तक अर्थ समान नहीं है। फिर भी इनके समानार्थी जान एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता है। भिक्षु या भिक्षुक पाली भाषा के ‘भिक्खु ‘ शब्द का गलत संस्कारित रूप है। चूँकिContinue reading “प्रश्न: भिक्खु और भिक्षु/भिक्षुक में क्या अंतर है? बौद्धो में भिक्खु का इतना आदरभाव क्यों है। 🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹”

🙏 बुध्द देशना के गुण 🙏

_ बुद्ध की देशना “सन्दस्सेति, समादपेति,समुत्तेजेति और सम्पहंसेति “-तथागत बुद्ध विहार में भिक्षु परिषद को उत्साहित करने के लिए, न कि निरुत्साहित करने के लिए धर्म देशना देते थे। भगवान देशना से भिक्षु परिषद कोसन्दस्सेति,समादपेति,समुत्तेजेति औरसम्पहंसेति –याने उत्साहित और आनन्दित करते थे। | धर्मदेशना देते हुए उनके मुख से जो घोष होता था वह आठContinue reading “🙏 बुध्द देशना के गुण 🙏”

🌺 अंधविश्वास की बेड़ियों से मुक्ति का मार्ग 🌺 __________________

– अङ्गुत्तरनिकाय १ . ३ . ६६ , केसमुत्तिसुत्त कालामो ! किसी भी बात कोश्रुति से मत ग्रहण करोऔरन तो परंपरा से ,न प्रथा से ,न ग्रंथ में आने के कारण ,न तर्क से सिद्ध होने से ,न न्याय सिद्ध होने से ,न सुंदर आकार का जान पड़ने से ,न अपनी पसंद की होने सेContinue reading “🌺 अंधविश्वास की बेड़ियों से मुक्ति का मार्ग 🌺 __________________”

सफलता एवं उन्नति का आधार “संकल्प शक्त्ति” है ———————————————–

बार तथागत बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी पर्वतीय स्थल पर ठहरे थे | शाम के समय वह अपने एक शिष्य के साथ भ्रमण के लिए निकले | दोनों प्रकृति के मोहक दृश्य का आनंद ले रहे थे | विशाल और मजबूत चट्टानों को देख शिष्य के भीतर उत्सुकता जागी | उसने पूछा…इन चट्टानों परContinue reading “सफलता एवं उन्नति का आधार “संकल्प शक्त्ति” है ———————————————–”

☸🙏🏻 धम्म सकाळ 🙏🏻☸

“जरा च मच्चु च, आयुं पाजेन्ति पाणिनं ।।”अर्थात- बुढापा और मृत्यु प्राणियों की आयु को ले जाते हैं ।अंधश्रद्धा-कर्मकांड,व्रत,भजन-कीर्तन,मूर्तिपूजा, होम-हवन आदि में पड़े मनुष्य बंधन में पड़ते हैं। उनके दु:ख बढते हैं। उनको दु:ख से मुक्ति नहीं मिलती है। अंधश्रद्धा निर्मूलन से ही मुक्ति मिलती है, सुख मिलता है। सुख की आशा रखने वाले कोContinue reading “☸🙏🏻 धम्म सकाळ 🙏🏻☸”

☸ The Great Mauryan Empire

शिलाभिलेखों के अनुसार सही रूप ‘असोक’ (Asoka) है, जिसका संस्कृत रूपांतरण अशोक (Ashoka) है. सम्राट अशोक के पूरे नाम का उल्लेख गुर्जरा शिलालेख में मिलता है —देवानंपियस पियदसिनो असोक राजस (देवानंप्रिय प्रियदर्शी राजा अशोक).1) मौर्य साम्राज्य के संस्थापक ~ सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य 2) मोरियवंस (मौर्य-वंश) किस ऐतिहासिक वंश/कुल की उपशाखा है ~ सक्यवंस (शाक्य-वंश)3) मौर्यContinue reading “☸ The Great Mauryan Empire”

पाली में तण्हा का जो अर्थ है वह सँस्कृत में नहीं।तण्हा को सँस्कृत में तृष्णा(इच्छा) से replace किया जाता है। जबकि दोनो के अर्थ अलग हैं। तण्हा* (libido)

भगवांबुद्धने धम्म को सुआख्यात किया है !सील समाधि पञ्ञा ! (शील समाधी प्रज्ञा ) पर स्वयं दु:ख भव मुक्ति का मग्ग को खोज निकाला उस पर स्वयम् चले और दुसरों को *सद्धम्म पथ *(=सद्धर्म Good Phenomena Path) चलने के लिए मार्गदर्शन किया है ! 1) कामभव( #sensual pleasure abode ,छः इन्द्रियों का मजा अथवा दुखContinue reading “पाली में तण्हा का जो अर्थ है वह सँस्कृत में नहीं।तण्हा को सँस्कृत में तृष्णा(इच्छा) से replace किया जाता है। जबकि दोनो के अर्थ अलग हैं। तण्हा* (libido)”

तमिलनाडु का काँचीपुरम किसी जमाने में बड़ा बौद्ध केंद्र था। बुद्धिज्म के बड़े-बड़े स्काॅलर यहाँ से जुड़े थे।

बोधिधर्म काँची के थे। वे जेन बुद्धिज्म के संस्थापक थे। बुद्धिस्ट तर्कशास्त्री दिङ्नाग काँची के थे। नालंदा विहार के कुलपति धर्मपाल ने भी काँची में शिक्षा प्राप्त की थी। बुद्धघोष ने काँची के विहार में वर्षावास किए थे। तमिल के प्राचीन काव्य – ग्रंथ मणिमेकलई और शिलप्पदिकारम भी काँची को बौद्ध केंद्र होने का सबूतContinue reading “तमिलनाडु का काँचीपुरम किसी जमाने में बड़ा बौद्ध केंद्र था। बुद्धिज्म के बड़े-बड़े स्काॅलर यहाँ से जुड़े थे।”

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